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बारिश: कला और कलाकार


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एक बारिश का दिन चाय या कॉफी के साथ,

आशीर्वाद और सच में कला का स्पर्श,

मृदु टिप टिप से भयंकर धंधावन,

छोटे तालाबों से लेकर भयानक ज़लज़ाला तक।


प्यारे बारिश, मुझसे तुमसे कहना है,

तुम दर्द को दूर करके सहलाते हो,

काले और भयंकर गुर्राहट से लेकर,

कोमल मीठा बोछार,

पता नहीं कब और कहॉं?


प्यारे बरिश तुम सच में कलाकार हो,

इंद्रधनुष के रंग बिरंग वाले सच्चे कलाकार,

बच्चों के छोटे नावों के नाविक,

तुम्हारे कारण उनके नाव भासमान है|


ओह बारिश, मेरी जीवनरेखा,

तुम सच में वो तोहफा हो जो हमें विस्मय हैं,

तुम्हारी ख़ूबी अपरम्पार,

छोटे पोखर से लेकर बहती नदियों तक,

सब उस अपरम्पार के सुन्दर कुनि|

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द्वारा लिखित,

आर महिमा राम,

स्टेला मैरिस कॉलेज.


[Hindi translation for the previous poem]


 
 
 

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